सोन मछली (अज्ञेय) कविता का केंद्रीय भाव
अज्ञेय प्रयोगवाद के प्रतिनिधि कवि हैं। प्रयोगवाद में आत्मपरिचय और व्यक्तिक-स्वतंत्रता का स्वर प्रमुख रहा है। जो मनुष्य व्यक्तिगत स्वतंत्रता का पक्षधर है सृष्टि के समस्त प्राणी मात्र को स्वतंत्र रूप में देखने का पक्षधर होता है। आत्मपरिचय में इन कवियों की दृष्टि इस ओर अधिक विस्तृत थी कि सृष्टि का परिचय पाने से पहले अपना परिचय पाना कहीं आवश्यक है। कविता की व्याख्या के क्रम में एक बात ध्यान देने योग्य होती है कि लिखते समय कवि की मनोवृति उस कविता को लेकर जो भी रही हो व्याख्या के क्रम में कविताएं कई अर्थ प्रकट करती हैं। कविता की भाषा लाक्षणिक और विशेषत: व्यंजनात्मक होती है। व्यंजना शब्द शक्ति की यह खासियत है कि वह एक-एक शब्द के कई-कई अर्थ प्रदान करती है। साहित्य की किसी विधा विशेष तौर पर कविता की व्याख्या के दौरान यह देखने में आता है कि अलग-अलग व्याख्याकारों की दृष्टिकोण के आधार पर एक ही कविता के कई अर्थ प्रकट होते हैं। नई कविता या प्रयोगवादी कविता तो विशेष तौर पर अपने प्रतीकात्मक रूपों के लिए ही जानी जाती है और प्रतीकात्मक रूप में शब्द के अनेक अर्थ प्रकट करती हैं। सोन मछली अज्ञेय की एक बहु...